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महाभारत का परिचय विस्तार से लिखिए।

परिचय

महाभारत भारतीय संस्कृति, धर्म, नीति और दर्शन का अद्वितीय महाकाव्य है। यह संसार का सबसे बड़ा महाकाव्य है जिसमें लगभग एक लाख श्लोक हैं। इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुरु वंश के दो प्रमुख वंशों – कौरव और पांडव – के बीच हुए महान युद्ध की कथा वर्णित है।

महाभारत की रचना

महाभारत की रचना संस्कृत भाषा में की गई थी और यह वेदव्यास द्वारा रचित ग्रंथों में प्रमुख है। इसे ‘पंचम वेद’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें वेदों का सार, नीति, धर्म और जीवन के मूल्य समाहित हैं। इसका मूल नाम ‘जय संहिता’ था, जिसे बाद में ‘भारत’ और फिर ‘महाभारत’ कहा गया।

संरचना

महाभारत में कुल 18 पर्व (अध्याय) हैं, जैसे आदिपर्व, सभापर्व, वनपर्व, भीष्मपर्व, द्रोणपर्व आदि। यह ग्रंथ केवल युद्ध कथा नहीं है, बल्कि इसमें राजनीति, धर्म, दर्शन, नैतिकता, योग, भक्ति और नीति की गहन चर्चा है।

मुख्य पात्र

महाभारत का उद्देश्य

महाभारत का उद्देश्य केवल युद्ध वर्णन करना नहीं है, बल्कि यह दिखाना है कि धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष में कैसे निर्णय लिया जाए। यह ग्रंथ जीवन में नैतिकता, धर्म, कर्तव्य और नीति के पालन की प्रेरणा देता है।

महाभारत और गीता

महाभारत का एक अंश ‘भगवद्गीता’ है, जो भीष्म पर्व में आता है। गीता अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद के रूप में है और इसमें जीवन के गूढ़ तत्वों की व्याख्या की गई है।

आधुनिक युग में महाभारत की प्रासंगिकता

आज के समाज में भी महाभारत के सिद्धांत उतने ही प्रासंगिक हैं। यह हमें सिखाता है कि धर्म का पालन कैसे किया जाए, जब जीवन में द्वंद्व हो। परिवार, समाज, राजनीति और व्यक्तिगत जीवन में इसका मार्गदर्शन अत्यंत उपयोगी है।

निष्कर्ष

महाभारत केवल एक कथा नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है। यह मनुष्य को धर्म, नीति, विवेक और संयम का पाठ पढ़ाता है। यह ग्रंथ हमें प्रेरित करता है कि हम जीवन में सच्चाई, सहिष्णुता और कर्तव्य का पालन करें।

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