गीता के अनुसार भगवान की सर्वव्यापकता के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।

परिचय

भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को न केवल धर्म और कर्म का उपदेश दिया, बल्कि अपने ‘सर्वव्यापक’ स्वरूप को भी स्पष्ट किया। यह स्वरूप दर्शाता है कि भगवान केवल एक स्थान, एक मूर्ति या एक व्यक्ति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हैं।

सर्वव्यापकता का अर्थ

‘सर्वव्यापकता’ का अर्थ है – हर जगह, हर वस्तु और हर जीव में भगवान की उपस्थिति। वे दृष्टिगोचर हों या नहीं, लेकिन उनका अस्तित्व सृष्टि के कण-कण में है।

गीता में सर्वव्यापकता के उदाहरण

  • श्रीकृष्ण कहते हैं: “मैं सब जीवों के हृदय में स्थित हूँ।”
  • “मैं अग्नि में तेज हूँ, जल में रस हूँ, चंद्रमा में शीतलता हूँ।”
  • “अर्जुन! तू जो कुछ देखता है, सुनता है, वह सब मुझमें ही है।”

विराट रूप का वर्णन

गीता के अध्याय 11 में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया, जिसमें संपूर्ण ब्रह्मांड समाहित था। उसमें सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, ऋषि, देवता, पशु-पक्षी और संपूर्ण समय (भविष्य, वर्तमान, अतीत) भी विद्यमान थे।

सर्वव्यापकता के श्लोक

“मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः॥”

अर्थ: यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड मेरी अव्यक्त मूर्ति से व्याप्त है। सभी प्राणी मुझमें स्थित हैं, परंतु मैं उनमें स्थित नहीं होता।

भगवान की सर्वव्यापकता के मुख्य तत्त्व

  • दृश्य और अदृश्य दोनों में: भगवान प्रकृति, जीवों, भावनाओं और विचारों में भी हैं।
  • समता का भाव: जो भगवान को सबमें देखता है, वह द्वेष और मोह से ऊपर उठ जाता है।
  • कर्म में ईश्वर: हर कर्म में भगवान की उपस्थिति को स्वीकार करना ही सच्चा योग है।

व्यावहारिक महत्व

  • ईश्वर की सर्वव्यापकता को समझने से अहंकार नष्ट होता है।
  • हर व्यक्ति, प्राणी और वस्तु का सम्मान करना संभव होता है।
  • सेवा, करुणा और समर्पण की भावना उत्पन्न होती है।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में

आज की दुनिया में जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र के नाम पर जो भेदभाव होता है, गीता की यह शिक्षा – कि “ईश्वर सबमें है” – एकता और सद्भाव का आधार बन सकती है।

निष्कर्ष

भगवान की सर्वव्यापकता का स्वरूप गीता का मूल संदेश है। इससे यह स्पष्ट होता है कि ईश्वर को मंदिर, मूर्ति या किसी विशेष स्थान में बाँधना अनुचित है। सच्ची भक्ति वही है जिसमें हम हर प्राणी में ईश्वर को देखें, सेवा करें और अपने कर्मों को भगवान को अर्पित करें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Disabled !