प्रस्तावना
हिंदी साहित्य में ‘लोकत्व’ शब्द का विशेष महत्त्व है। यह शब्द समाज के सामान्य जन, उनकी संस्कृति, विश्वास, परंपरा, जीवनशैली और अनुभवों की समग्र अभिव्यक्ति को दर्शाता है। लोक तत्वों का प्रभाव न केवल लोक साहित्य में बल्कि शास्त्रीय साहित्य में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मलिक मोहम्मद जायसी की ‘पद्मावत’ एक ऐसा काव्य है जिसमें लोकजीवन और लोकमूल्यों का व्यापक चित्रण हुआ है।
लोकत्व की परिभाषा
लोकत्व का अर्थ है—‘जनमानस से जुड़ा हुआ तत्व’। यह आम लोगों के जीवन, उनकी भाषा, विश्वास, रीति-रिवाज, लोकदेवताओं, गीतों, कथाओं और प्रतीकों के माध्यम से साहित्य में अभिव्यक्त होता है। लोकत्व साहित्य को जनोन्मुख और जीवन के करीब बनाता है।
‘पद्मावत’ का संक्षिप्त परिचय
‘पद्मावत’ जायसी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध सूफी प्रेम काव्य है, जिसकी रचना अवधी भाषा में 16वीं शताब्दी में हुई। यह पद्मावती और रत्नसेन की प्रेमकथा तथा अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण की पृष्ठभूमि में लिखा गया है।
‘पद्मावत’ में लोकत्व के विविध पक्ष
1. लोकभाषा का प्रयोग
‘पद्मावत’ की भाषा अवधी है, जो उस समय की लोकभाषा थी। इसके प्रयोग से काव्य जनमानस के निकट पहुँच गया और सरलता तथा प्रवाह बनाए रखा गया।
2. लोकविश्वास और प्रतीक
काव्य में नागमणि, योगबल, स्वप्नदर्शिता, तोता (हिरामन), तपस्या, जौहर आदि जैसे प्रतीक लोकविश्वासों से जुड़े हुए हैं। ये लोक में प्रचलित मिथकीय प्रतीकों का प्रयोग करके कथा को रोचक और अर्थपूर्ण बनाते हैं।
3. लोक परंपराएँ
‘पद्मावत’ में विवाह की परंपराएँ, स्त्री की पवित्रता, जौहर प्रथा, राजा-रानी के संबंध और स्त्री की लज्जा-गौरव जैसे विषयों को लोक परंपरा के अनुरूप चित्रित किया गया है।
4. धार्मिक समन्वय और सूफी भाव
जायसी ने हिन्दू और मुस्लिम संस्कृति का सुंदर समन्वय प्रस्तुत किया। सूफी विचारधारा के अनुसार प्रेम को ईश्वर तक पहुँचने का माध्यम माना गया है। यह भाव लोक में प्रचलित भक्ति भावना से भी जुड़ता है।
5. प्रकृति और ग्रामीण जीवन का चित्रण
कविता में प्रकृति, पहाड़, नदी, वन, पशु-पक्षी, ग्रामीण जीवन की गतिविधियों का सुंदर चित्रण हुआ है, जो लोक जीवन की सजीव छवि प्रस्तुत करता है।
‘हिरामन तोता’ – एक लोक प्रतीक
‘हिरामन तोता’ पद्मावती के गुणों का वर्णन करता है और रत्नसेन को उसकी जानकारी देता है। यह तोता लोक कथाओं में मिलने वाले बुद्धिमान पक्षियों का प्रतीक है जो प्रेम और रहस्य का दूत होता है।
जौहर की लोक अवधारणा
पद्मावती का जौहर लोक स्त्रियों के आत्मगौरव, सम्मान और त्याग का प्रतीक बनकर प्रस्तुत होता है। यह लोक में नारी मर्यादा और बलिदान की भावना को दर्शाता है।
निष्कर्ष
‘पद्मावत’ लोकत्व से ओत-प्रोत एक अनुपम काव्य है जिसमें लोकभाषा, लोकविश्वास, लोकपरंपरा और लोकसंवेदना का अद्भुत समन्वय है। मलिक मोहम्मद जायसी ने इसे जनमानस की अनुभूतियों और सांस्कृतिक विरासत के आधार पर रचा, जिससे यह काव्य आज भी प्रासंगिक और जनप्रिय बना हुआ है।