परिचय
भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाला दिव्य ग्रंथ है। इसमें ज्ञान और विज्ञान – दोनों के स्वरूप की चर्चा की गई है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान और विज्ञान का ऐसा समन्वित रूप समझाया जो आत्मा, परमात्मा और संसार की सच्चाई को उजागर करता है। इस लेख में हम गीता में वर्णित ज्ञान-विज्ञान के स्वरूप को विस्तार से समझेंगे।
ज्ञान और विज्ञान – दोनों का अर्थ
- ज्ञान: शास्त्रों, उपनिषदों और गुरु उपदेशों के माध्यम से प्राप्त हुआ आत्मा और ब्रह्म का बौद्धिक बोध।
- विज्ञान: उस ज्ञान का प्रत्यक्ष अनुभव, जो साधना, ध्यान और भक्ति के माध्यम से प्राप्त होता है।
गीता में ज्ञान-विज्ञान का महत्व
गीता के अध्याय 7 और 9 में श्रीकृष्ण ने ज्ञान और विज्ञान की चर्चा की है। वे कहते हैं:
“ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानम् इदं वक्ष्याम्यशेषतः।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते॥”
अर्थ: हे अर्जुन! मैं तुम्हें ऐसा ज्ञान दूँगा जो विज्ञान सहित है। उसे जानने के बाद इस संसार में जानने योग्य कुछ भी शेष नहीं रहेगा।
ज्ञान-विज्ञान का स्वरूप
- आत्मा और ब्रह्म का ज्ञान: आत्मा अविनाशी है, ब्रह्म सर्वव्यापी है।
- कार्य-कारण का बोध: संसार का कारण क्या है, इसका विवेक।
- प्रकृति और पुरुष का संबंध: माया और आत्मा का अंतर।
- कर्म और धर्म की समझ: निष्काम कर्म और उसका आध्यात्मिक महत्व।
- भक्ति और समर्पण: भगवान को जानना और अनुभव करना।
ज्ञान और विज्ञान में अंतर
- ज्ञान केवल बौद्धिक जानकारी है, जबकि विज्ञान उसका प्रत्यक्ष अनुभव है।
- ज्ञान से शंका मिटती है, विज्ञान से श्रद्धा उत्पन्न होती है।
- ज्ञान से मार्ग दिखता है, विज्ञान से लक्ष्य प्राप्त होता है।
ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति के साधन
- गुरु से शिक्षण और सत्संग।
- ध्यान और योग का अभ्यास।
- भक्ति और जप।
- नैतिक जीवन और आत्म-निरीक्षण।
आधुनिक युग में ज्ञान-विज्ञान की प्रासंगिकता
आज के विज्ञान और तकनीक के युग में केवल बाहरी जानकारी ही नहीं, आंतरिक अनुभव भी आवश्यक है। गीता का ज्ञान-विज्ञान मनुष्य को संपूर्ण बनाता है – वह न केवल ज्ञानी बनता है, बल्कि करुणावान, धर्मनिष्ठ और शांतिपूर्ण भी बनता है।
निष्कर्ष
गीता का ज्ञान-विज्ञान मनुष्य को केवल जानकारी नहीं देता, बल्कि उसे ब्रह्म से जोड़ता है। यह मनुष्य को आत्मा की पहचान कराकर उसे जीवन की सच्ची दिशा दिखाता है। यदि हम गीता के ज्ञान-विज्ञान को समझें और अपनाएं, तो हमारा जीवन दिव्यता से भर सकता है।
