प्रस्तावना
तुलसीदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के महान कवि थे। उनका प्रमुख काव्य ‘रामचरितमानस’ भारतीय समाज, संस्कृति, धर्म और जीवन मूल्यों का दर्पण है। तुलसीदास की कविताओं में जीवन के विविध पक्षों – धार्मिक, नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक – का चित्रण हुआ है। उनका काव्य केवल भक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का सार भी है।
तुलसीदास का जीवन-दर्शन
तुलसीदास का काव्य केवल ईश्वर भक्ति तक सीमित नहीं है, अपितु उसमें मानव जीवन के विभिन्न पक्षों का भी व्यापक और मार्मिक चित्रण है। उनके काव्य में जीवन की यथार्थ परिस्थितियाँ, समाज की समस्याएँ, कर्तव्य-बोध और व्यवहारिक नीति स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती हैं।
1. धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन
तुलसी की कविता में जीवन का धार्मिक पक्ष सर्वाधिक प्रमुख है। उन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में चित्रित किया, जो आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। तुलसी के अनुसार भक्ति और धर्म से ही जीवन सफल होता है।
“धर्म ते अधिक न भाई, अधम सो जानिअ जो धर्म गँवाई।”
यह पद दर्शाता है कि धर्म मानव जीवन का मूल आधार है।
2. सामाजिक जीवन का चित्रण
तुलसी की रचनाओं में समाज के विविध वर्गों का चित्रण हुआ है। उन्होंने राजा, प्रजा, ब्राह्मण, शूद्र, स्त्री, वृद्ध, बालक आदि सभी को उनके जीवन संदर्भ में चित्रित किया है। तुलसी का समाजदर्शन लोकहित पर आधारित है।
3. स्त्री जीवन का पक्ष
यद्यपि तुलसीदास पर स्त्री के प्रति रूढ़िवादी दृष्टिकोण का आरोप लगाया जाता है, परन्तु ‘सीता’ के रूप में उन्होंने नारी के आदर्श चरित्र का चित्रण किया है। सीता संयम, समर्पण और सहनशीलता की मूर्ति हैं।
4. नीति और व्यवहारिक पक्ष
तुलसी की कविता में नीति और व्यवहारिकता का गहरा समन्वय है। उनके नीति पद जनजीवन को सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
“परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।”
यह पद दर्शाता है कि परोपकार ही श्रेष्ठ धर्म है और दूसरों को पीड़ा पहुँचाना सबसे बड़ा अधर्म।
5. परिवार और संबंधों की मर्यादा
रामचरितमानस में पारिवारिक संबंधों की मर्यादा को गहराई से प्रस्तुत किया गया है — राम-सीता का दांपत्य प्रेम, भरत का भ्रातृ-भाव, लक्ष्मण की सेवा-निष्ठा, हनुमान की भक्ति आदि जीवन के संबंधों को दर्शाते हैं।
6. दीन-दुखियों के प्रति सहानुभूति
तुलसीदास ने समाज के पिछड़े और पीड़ित वर्ग के प्रति सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की है। राम द्वारा शबरी, निषादराज, विभीषण आदि को अपनाना इसी का उदाहरण है।
निष्कर्ष
तुलसीदास की कविता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं है, वह एक जीवंत जीवन-दर्शन है। इसमें मानव जीवन की हर परिस्थिति, हर भाव और हर मूल्य को सार्थक रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनके काव्य में भक्ति के साथ-साथ व्यवहारिक जीवन की शिक्षाएँ भी निहित हैं। इसीलिए तुलसीदास की कविता में चित्रित जीवन पक्ष आज भी उतना ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।