एम.ए.डी.-01

एम.ए.डी.-01: हिंदी काव्य–1 (आदि काव्य, भक्ति काव्य एवं रीति काव्य) – सभी प्रश्नों के उत्तर लिंक सहित

एम.ए.डी.-01: हिंदी काव्य–1 सत्रीय कार्य (2024–2025) नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर प्रत्येक प्रश्न का विस्तृत उत्तर पढ़ सकते हैं। ये सभी उत्तर सरल भाषा में तैयार किए गए हैं ताकि IGNOU छात्रों को अधिकतम सहायता मिल सके। चंद को छंद का राजा क्यों कहा जाता है? ‘पृथ्वीराज रासो’ की प्रामाणिकता–अप्रामाणिकता से जुड़े विभिन्न […]

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एम.ए.डी.-01: हिंदी काव्य–1 (आदि काव्य, भक्ति काव्य एवं रीति काव्य) – सभी प्रश्नों के उत्तर लिंक सहित

एम.ए.डी.-01: हिंदी काव्य–1 सत्रीय कार्य (2024–2025) नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर प्रत्येक प्रश्न का विस्तृत उत्तर पढ़ सकते हैं। ये सभी उत्तर सरल भाषा में तैयार किए गए हैं ताकि IGNOU छात्रों को अधिकतम सहायता मिल सके। ‘पृथ्वीराज रासो’ की प्रामाणिकता–अप्रामाणिकता से जुड़े विभिन्न मुद्दों का विश्लेषण कीजिए। विद्यापति पदावली में भक्ति और

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निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए: (क) पद्माकर का काव्य शिल्प (ख) सूर द्वारा चित्रित स्वच्छंद प्रेम

प्रस्तावना इस प्रश्न में दो प्रसिद्ध कवियों – पद्माकर और सूरदास – की रचनात्मक विशेषताओं पर टिप्पणी करनी है। दोनों ही कवि हिंदी साहित्य के अमूल्य रत्न हैं और उनकी काव्यशैली और प्रेम चित्रण साहित्यिक दृष्टि से विशिष्ट स्थान रखते हैं। (क) पद्माकर का काव्य शिल्प 1. भाषा एवं शैली पद्माकर की भाषा अत्यंत परिष्कृत

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रीति कवियों की कविता में भक्ति और रीति काल के अन्य कवियों से किन मानकों में अलग हैं।

प्रस्तावना हिंदी साहित्य का ‘रीति काल’ लगभग 1650 ई. से 1850 ई. तक का समय माना जाता है। इस काल को श्रृंगार काव्य का युग भी कहा गया है। हालांकि रीति कालीन कवियों में भक्ति भाव भी दिखाई देता है, लेकिन यह भक्ति भाव ‘भक्ति काल’ के कवियों से भिन्न है। इस निबंध में हम

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बिहारी की कविता में चित्रित संयोग और वियोग श्रृंगार का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।

प्रस्तावना बिहारी लाल हिंदी रीति काल के सर्वश्रेष्ठ कवियों में गिने जाते हैं। उन्होंने ‘सतसई’ नामक काव्य रचना के माध्यम से श्रृंगार रस को अभूतपूर्व ऊँचाई प्रदान की। उनकी कविता का प्रमुख विषय श्रृंगार है, जिसमें संयोग और वियोग दोनों पक्षों का सुंदर चित्रण मिलता है। इस निबंध में हम बिहारी की कविता में संयोग

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तुलसी की कविता में चित्रित जीवन पक्ष का विवेचन कीजिए।

प्रस्तावना तुलसीदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के महान कवि थे। उनका प्रमुख काव्य ‘रामचरितमानस’ भारतीय समाज, संस्कृति, धर्म और जीवन मूल्यों का दर्पण है। तुलसीदास की कविताओं में जीवन के विविध पक्षों – धार्मिक, नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक – का चित्रण हुआ है। उनका काव्य केवल भक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का

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मीरा की भक्ति में उनके जीवनानुभवों की सच्चाई और मार्मिकता है, कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

प्रस्तावना मीरा बाई हिंदी भक्ति साहित्य की अद्वितीय संत-कवयित्री हैं, जिनकी रचनाओं में आध्यात्मिकता, प्रेम और आत्मनिवेदन की गहन अभिव्यक्ति मिलती है। उनकी भक्ति केवल काव्य नहीं, बल्कि उनके जीवन का यथार्थ अनुभव है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन के संघर्षों, पीड़ाओं और समर्पण को भक्ति में रूपांतरित किया। इसलिए यह कथन बिल्कुल उपयुक्त है कि

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लोकत्व से आप क्या समझते हैं? पद्मावत में वर्णित लोक्तत्वों का परिचय दीजिए।

प्रस्तावना हिंदी साहित्य में ‘लोकत्व’ शब्द का विशेष महत्त्व है। यह शब्द समाज के सामान्य जन, उनकी संस्कृति, विश्वास, परंपरा, जीवनशैली और अनुभवों की समग्र अभिव्यक्ति को दर्शाता है। लोक तत्वों का प्रभाव न केवल लोक साहित्य में बल्कि शास्त्रीय साहित्य में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मलिक मोहम्मद जायसी की ‘पद्मावत’ एक

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मध्य युग के प्रगतिशील रचनाकार के रूप में कबीर का मूल्यांकन कीजिए।

प्रस्तावना कबीर हिंदी साहित्य के भक्ति काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। वे समाज सुधारक, संत और विचारक थे। मध्य युग में जब समाज धार्मिक आडंबर, जातिवाद और सामाजिक विषमता से ग्रस्त था, तब कबीर ने अपने दोहों और पदों के माध्यम से एक प्रगतिशील चेतना का संचार किया। इस निबंध में हम

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विद्यापति पदावली में भक्ति और श्रृंगार का द्वंद्व किस रूप में प्रकट हुआ?

प्रस्तावना विद्यापति मैथिली भाषा के महान कवि माने जाते हैं। उनकी ‘पदावली’ श्रृंगार और भक्ति रस का अद्भुत संगम है। उन्होंने अपने काव्य में राधा-कृष्ण के प्रेम को माध्यम बनाकर ईश्वर और आत्मा के बीच के संबंध को दर्शाया है। उनके काव्य में श्रृंगार की कोमलता और भक्ति की गहराई दोनों स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर

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