कर्मयोगी के वे लक्षण जो अर्जुन अनुसार योग्य व्यक्ति बनाते हैं, लिखिए।

परिचय भगवद्गीता में कर्मयोग एक अत्यंत महत्वपूर्ण दर्शन है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, उनमें कर्मयोग का विशेष स्थान है। कर्मयोग का अर्थ है – बिना फल की चिंता किए अपना कर्तव्य निभाना। गीता में ऐसा कर्मयोगी व्यक्ति महान माना गया है जो आत्मज्ञान, संतुलन और निष्काम कर्म में स्थित होता है। कर्मयोगी […]

कर्मयोगी के वे लक्षण जो अर्जुन अनुसार योग्य व्यक्ति बनाते हैं, लिखिए। Read More »