गीता के अनुसार भगवान की सर्वव्यापकता के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।

परिचय भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को न केवल धर्म और कर्म का उपदेश दिया, बल्कि अपने ‘सर्वव्यापक’ स्वरूप को भी स्पष्ट किया। यह स्वरूप दर्शाता है कि भगवान केवल एक स्थान, एक मूर्ति या एक व्यक्ति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हैं। सर्वव्यापकता का अर्थ ‘सर्वव्यापकता’ का अर्थ […]

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