निम्नलिखित पद्यांशों का सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (क) सरस सुमन की दुर्गन्ध बही
पद्यांश सरस सुमन की दुर्गन्ध बही अपनी विद्रूपता अलग पकाई। वीरन बन सूख गई डाली, काँपी साँसें सन्नता अंगुलाई। तीन प्रकार टेर बाँधी पीड़ित निश्चल निर्जन की अंगड़ाई। आँखों चढ़ मरा एक भ्रम लगी साँस सजल सन्नता से जुगलबंदी। संदर्भ यह पद्यांश आधुनिक हिंदी कविता की नई कविता शैली से लिया गया है जिसमें मानवीय […]
निम्नलिखित पद्यांशों का सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (क) सरस सुमन की दुर्गन्ध बही Read More »