परिचय
हनुमान जी को केवल बलशाली और वीर योद्धा ही नहीं, अपितु अत्यंत बुद्धिमान, ज्ञानी और विवेकशील देवता भी माना जाता है। वे श्रीराम के अनन्य भक्त, नीति के ज्ञाता, और धर्म के मार्गदर्शक हैं। तुलसीदास जी ने हनुमान जी को ‘बुद्धिमतां वरिष्ठम्’ कहा है, अर्थात् वे बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं। इस लेख में हम हनुमान जी के बुद्धिमान स्वरूप पर प्रकाश डालेंगे।
बुद्धिमत्ता का अर्थ
बुद्धिमत्ता का अर्थ केवल ज्ञान होना नहीं, बल्कि उसे सही समय पर सही ढंग से प्रयोग करना भी है। हनुमान जी की बुद्धिमत्ता इसी प्रकार की है – विवेक, साहस, समयबोध, नीति और समर्पण का सुंदर समन्वय।
हनुमान जी की प्रमुख बुद्धिमत्तापूर्ण घटनाएँ
- सीता की खोज: जब सभी वानर सीता को खोजने में असफल हो गए, तब हनुमान जी ने समुद्र पार कर लंका पहुँचकर माता सीता का पता लगाया। उन्होंने अकेले लंका में प्रवेश करके जानकी माता को श्रीराम का संदेश दिया – यह उनकी अद्भुत योजना, साहस और बुद्धि का प्रमाण है।
- लंका दहन: रावण के द्वारा पूंछ में आग लगवाने पर, हनुमान जी ने न केवल अपने अपमान का उत्तर दिया, बल्कि लंका के कई भागों को जला कर रावण को चेतावनी दी – यह कार्य विवेक और साहस का अद्भुत उदाहरण है।
- संजीवनी बूटी लाना: लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर, हनुमान जी ने पूरे पर्वत को उठा लाने का निर्णय लिया – यह निर्णय समय के महत्व और लक्ष्य की प्राथमिकता को समझकर लिया गया, जो उनकी व्यावहारिक बुद्धि को दर्शाता है।
विद्या और ज्ञान में श्रेष्ठ
- हनुमान जी ने सूर्य देव से वेद और शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त की थी।
- उन्हें सभी चारों वेद, छह वेदांग, व्याकरण, ज्योतिष, छंद और दर्शन का गहरा ज्ञान था।
- रामकथा में उनकी नीति और संवाद शैली अत्यंत प्रभावी और सटीक होती है।
हनुमान जी की विनम्रता
असली बुद्धिमत्ता विनम्रता में छुपी होती है। हनुमान जी सर्वज्ञ होते हुए भी सदा श्रीराम के चरणों में समर्पित रहते हैं। वे कभी अपने ज्ञान का घमंड नहीं करते, बल्कि श्रीराम की सेवा में उसे अर्पित करते हैं।
आज के संदर्भ में हनुमान जी की बुद्धिमत्ता
- आज के युवाओं के लिए हनुमान जी का चरित्र प्रेरणादायक है।
- समस्या आने पर घबराना नहीं, बल्कि सूझ-बूझ से निर्णय लेना – यही हनुमान जी सिखाते हैं।
- बिना अहंकार के ज्ञान का उपयोग समाज सेवा और धर्म के लिए करना – यही सच्ची बुद्धिमत्ता है।
निष्कर्ष
हनुमान जी का बुद्धिमान स्वरूप हमें यह सिखाता है कि केवल बल ही नहीं, बुद्धि भी आवश्यक है। विवेक, नीति, धैर्य और कर्तव्यपरायणता – ये सब गुण हनुमान जी में समाहित हैं। उनका चरित्र हमें सही निर्णय लेने, संकल्प में अडिग रहने और विनम्र बनने की प्रेरणा देता है।
