निम्नलिखित पद्यांशों का सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (ख) विषमता की पीड़ा से व्याकुल
पद्यांश विषमता की पीड़ा से व्याकुल हो रहा संचित विषम समय; यही दुख पिघल निकला है स्वप्न मानव समाज बना जो महामय। जिसमें समरसता का अभाव, अपनत्व नहीं केवल जातीय तिरस्कार, व्यथा से नीति बहलती केवल विविध स्वरूप लिये गुण गुनगुनाता। संदर्भ यह पद्यांश नई कविता शैली का उदाहरण है जिसमें कवि समाज में व्याप्त […]
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