निम्नलिखित पद्यांशों का सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (ग) हे अग्निशिखा, ज्वालामुखी गगन का अप्सर
पद्यांश हे अग्निशिखा, ज्वालामुखी गगन का अप्सर, जो ऊपर लिखा जा चुका, कह दे उप्सर–उप्सर, अशिखित रक्त वह खुले अक्षरों लिखे, जो नीरव हो गईं व्यथाएँ, वो चीखें। सिर पत्थर हो चले हैं देश–देश–देश, उठे जो बोल, बने वे शूल–शूल–शूल, बोल–कुम्भ–कुम्भ–कुम्भ बना धूल–धूल–धूल, अवज्ञा ममता तनु उठा हो हार–हार। संदर्भ यह पद्यांश क्रांतिकारी और प्रगतिशील […]