गीता के अनुसार सम्पूर्ण गुणात्मक स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

परिचय

भगवद्गीता एक ऐसा अद्वितीय ग्रंथ है जो न केवल धार्मिक और दार्शनिक ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति के सम्पूर्ण गुणात्मक स्वरूप (Holistic Qualitative Nature) को भी परिभाषित करता है। गीता में मनुष्य के तीन गुणों – सत, रज और तम – के माध्यम से सम्पूर्ण व्यक्तित्व की व्याख्या की गई है।

त्रिगुण – गुणात्मक स्वरूप का आधार

  • सत्त्व गुण: यह ज्ञान, शांति, संतुलन और पवित्रता का गुण है। सत्त्वगुणी व्यक्ति सत्यप्रिय, करुणावान और आत्म-संयमी होता है।
  • रजस गुण: यह क्रिया, इच्छा, महत्वाकांक्षा और गतिविधि का प्रतीक है। यह व्यक्ति को संसार में जोड़ता है और भोग की ओर प्रेरित करता है।
  • तमस गुण: यह अज्ञान, आलस्य, भ्रम और जड़ता का गुण है। तमोगुणी व्यक्ति निर्णयहीन, असंयमी और अज्ञानपूर्ण होता है।

सम्पूर्ण गुणात्मक स्वरूप का अर्थ

गीता कहती है कि हर व्यक्ति में ये तीनों गुण होते हैं, लेकिन उनका अनुपात अलग-अलग होता है। सम्पूर्ण गुणात्मक स्वरूप का अर्थ है – इन गुणों का संतुलित विकास और सत्त्वगुण की ओर उन्नति।

व्यक्तित्व निर्माण में गुणों की भूमिका

  • सत्त्व गुण से व्यक्ति में विवेक, संयम, करुणा और सत्य की भावना आती है।
  • रजस गुण व्यक्ति को कर्मशील और सक्रिय बनाता है लेकिन अति महत्वाकांक्षा से बचना चाहिए।
  • तमस गुण आवश्यक विश्राम और शारीरिक स्थिरता के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन अत्यधिक तमस पतन का कारण बनता है।

गीता की दृष्टि से श्रेष्ठ गुणात्मक जीवन

श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि सत्त्वगुण ही मोक्ष का मार्ग है। एक सच्चा साधक वही है जो रज और तम से ऊपर उठकर सत्त्व को अपनाता है।

गुणों के अनुसार कर्म और आचरण

  • सत्त्वगुणी व्यक्ति सेवा, तप, दान और भक्ति करता है।
  • रजोगुणी व्यक्ति फल की इच्छा से कर्म करता है।
  • तमोगुणी व्यक्ति भ्रम और आलस्य में जीवन व्यतीत करता है।

गुणात्मक स्वरूप में परिवर्तन कैसे लाएँ?

  • अध्यात्म और सत्संग से सत्त्वगुण बढ़ता है।
  • ध्यान, योग और आत्मचिंतन रज और तम को नियंत्रित करते हैं।
  • सकारात्मक संगति और विचारशीलता से व्यक्ति अपने गुणों में संतुलन ला सकता है।

निष्कर्ष

गीता के अनुसार सम्पूर्ण गुणात्मक स्वरूप वही है जिसमें सत्त्वगुण की प्रधानता हो, रजस को सही दिशा दी जाए और तमस को नियंत्रित किया जाए। यह संतुलन ही मनुष्य को आत्मज्ञान, शांति और मोक्ष की ओर ले जाता है।

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